प्रिये मित्रों
सबसे पहले हम ये जानेगे, की बिमा होता क्या हैं? तथा इसमें क्या हैं जो बिमा कराय हम........
तो आएये देख लेते हैं।
बिमा की परिभाषा
सबसे पहले हम ये जानेगे, की बिमा होता क्या हैं? तथा इसमें क्या हैं जो बिमा कराय हम........
तो आएये देख लेते हैं।
बिमा की परिभाषा
बीमा (इंश्योरेंस) उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (जिसे प्रीमियम कहते हैं) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
बिमा का महत्व
बिमा के महत्व को समझने के लिए , इसे चार भागो में वर्गीकृत किया गया हैं।
1. पारिवारिक दृष्टि से
2. आर्थिक दृष्टि से
3. सामाजिक दृष्टि से
4. राष्ट्रीय दृष्टि से
आइये इनके बारे में जानते हैं।
1. पारिवारिक दृष्टि से
(a) मितव्ययता व बचत का प्रोत्सहन
(b) जोखिम से सुरक्षा
(c) विनियोग
(d) बीमित व उसके उत्तराधिकारियों को पूर्ण सुरक्षा
(e) करो में छुट
(f) आय क्षमता में छुट
(g) साख सुविधाएं
(h) वैधानिक दायित्वों से मुक्ति
(i) कार्य क्षमता में वृद्धि
(j) मानसिक शांति
(k) स्वावलंबन को प्रोत्साहन
(l) भविष्य की आवश्यकताओ का नियोजन
(m) सतर्कता को प्रोत्साहन
(n) समाजिक प्रतिष्ठा व आत्म सम्मान में वृद्धि
(o) वृद्धावस्था में सहारा
2. आर्थिक दृष्टि से
- बचतों को प्रोत्साहन
- पूँजी निर्माण
- विनियोजन का साधन
- व्यापार व वाणिज्य में वृद्धि
- वृहत् पैमाने के व्यवसायो का विकास
- लघु व कुटीर उद्योगों मे विकास
- उघमिता का विकास
- सेवा क्षेत्रों के उपक्रमो का विकास
- विदेशी व्यापार को प्रोसाहन
- साझेदारी व्यवसाय में स्थापिता
- रोजगार के अवसरो का विकास
- महत्वपूर्ण व्यक्ति की हानि से सुरक्षा
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