Let us tell you about your culture about Aarti, Chalisa, tourist site, temple, knowledge of planets, social, science, rituals, religion etc. Author: - Ravi Bakoliya

Breaking

Tuesday, June 6, 2017

विक्रमी सम्वत् एवम् भारतीय काल गणना

नववर्ष विक्रमी सम्वत् 
इस दिन परमात्मा ने सृष्टि की रचना की उसे ही नव वर्ष का आरंभ कहते हैं भारतीय संस्कृति की कालगणना एवम ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों के प्रमाण अनुसार यह दिन चैत्र शुक्ल एकम है
अपना नववर्ष मनाने का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इस दिन
1. ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना प्रारंभ की गई
2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्यभिषेक हुआ था
3. भगवान झूलेलाल (वरुण देव) का जन्म हुआ था
4. महाराज युधिष्ठिर का राज्यभिषेक हुआ था
5. महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी
6. युगाब्द अर्थात कलि संवत विक्रमी संवत शालिवाहन संवत युधिष्ठिर संवत आदि भारतीय कालगणना के विभिन्न संवत्सर का आरंभ हुआ था
7. शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा हेतु नवरात्र में स्थापना होती है
8. महर्षि गौतम का जन्म हुआ था
9. विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर हेड गेवार का जन्म हुआ था
10. गुरु अंगद देव जी का जन्म हुआ था
11. राजस्थान का स्थापना दिवस है
भारतीय काल गणना की वैज्ञानिकता :
1.   समय की सबसे छोटी इकाई त्रुटि है !
1त्रुटि                       = 1/33750सेकंड
225त्रुटि                   = 1प्रतिपल
60प्रतिपल                = 1विपल
60विपल                   = 1पल(24सेकंड)
60पल                       = 1घटी(24मिनट)
2.5घटी                       = 1होरा (1घण्टा)
5घटी या 2होरा            = 1लग्न (2घण्टे)
60घटी या 24होरा        =1दिन-रात=1दिन
7दिन                           =1सप्ताह
15दिन                         =1पक्ष
2पक्ष                            =1मास
12मास                         =1वर्ष
2. समय की सबसे बड़ी इकाई 
कलियुग                        = 4,32,000 वर्ष
द्वापर                            = 8,64,000 वर्ष
त्रेता                              = 12,96,000 वर्ष
सतयुग                          = 17,28,000 वर्ष
1 चतुर्युगी                      = 43,20,000 वर्ष
71 चतुर्युगी                    = 1 मन्वंतर
14 मन्वंतर                     = 1कल्प (1000चतुर्युगी)
                                      = ब्रह्मा जी का एक दिन
ब्रह्माजी की आयु 100वर्ष  = 31,1040000000,00000मानव वर्ष
3. सृष्टि के प्रारंभ हुये 1अरब97करोड़29लाख49हजार117वर्ष पूरे हो गये है
4. सूर्य सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी का भ्रमणकाल = 365दिन 15घटी 31पल 31विपल 24प्रतिपल है
* 1 सूर्य वर्ष      = 365दिन 6घंटे 12मिनट 36.416सेकंड
                        356.2587दिन
* 1चंद्र वर्ष      = 354.367दिन
दोनों मे लगभग 11दिन का अंतर (10.89दिन)
 5. मासों के नाम का निर्धारण: स्थिर तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं। कुल 27 नक्षत्र आकाश में विद्यमान है। शुक्ल पक्ष में चंद्रमा बढ़ते बढ़ते किस नक्षत्र में जाकर पूर्ण होता है उसी नक्षत्र का नाम मास का नाम होता है जैसे एक मार्च में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है तो चैत्र मास एवं उसके बाद पूर्णिमा के दिन विशाखा नक्षत्र में होता है इसलिए वैशाख मास आदि।
6. दिनों के क्रम का निर्धारण: पृथ्वी से दूरी को ध्यान में रखकर इसकी गणना सूर्य से आरंभ करे तो वृत्ताकार क्रम बनता है:-
"सूर्य ,शुक्र ,बुध ,चंद्र ,शनि ,गुरु एवं मंगल"
सूर्य उदय के समय प्रथम होरा (घंटा) जिस ग्रह का आधिपत्य होता है वह दिन उसी ग्रह के नाम से जाना जाता है
सृष्टि के आरंभ का दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा थी एवं सूर्य उदय के समय सूर्य (रवि) का अधिपत्य था। अतः दिन की घटना रविवार से प्रथम हो रहा है कि घटना सूर्य रवि से किया जाता है ऊपर वर्णित क्रम में सूर्य से गणना करें तो 1.सूर्य 2.शुक्र 3.बुध 4.चंद्र 5.शनि 6.गुरु 7.मंगल 8.सूर्य 9.शुक्र 10.बुध 11.चंद्र 12.शनि 13.गुरु 14.मंगल 15.सूर्य 16.शुक्र 17.बुध 18.चंद्र 19.शनि 20.गुरु 21.मंगल 22.सूर्य 23.शुक्र 24.बुध एवं 25वां होरा चंद्र का होता है अतः रविवार के बाद चंद्रवार अर्थात् सोमवार आता है इसी क्रम में अगला 25वा होरा मंगलवार आएगा।

No comments:

Post a Comment